Saturday, January 30, 2010

सुगंधी रातरानी

सूरज डूबा, सांझ हो गयी
हरियाली कोहरे की चादर ओड़ी
रातरानी अंगडाई लेके नींद से जागी
मेरे चेहरे पे ख़ुशी छा गयी
चाँद निकला, रात हो गयी
चांदनी धरती पे छायी
ठंडी हवा खुशबू लुटाके आई
में नशीली खुशबू में डूबी
तारे बिखरे, आधी रात हो गयी
सारी जगह खुशबू महकी
पलकों में नींद छा गयी
में कोई सपनों में खो गयी

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